Mahatma Gandhi Nrega Yojana: ग्रामीण भारत की आजीविका का मजबूत सहारा!

Mahatma Gandhi Nrega Yojana – ग्रामीण भारत के लाखों परिवारों के लिए रोजगार और आर्थिक सुरक्षा का आधार बनी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) आज भी अपनी मूल भावना के साथ कार्यरत है। वर्ष 2005 में संसद द्वारा पारित इस ऐतिहासिक अधिनियम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों को वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों का गारंटीकृत मजदूरी रोजगार उपलब्ध कराना है।

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Mahatma Gandhi Nrega Yojana!

MGNREGA अधिनियम को सितंबर 2005 में पारित किया गया और पहली बार इसे 2 फरवरी 2006 को हरियाणा के महेन्द्रगढ़ और सिरसा जिलों में लागू किया गया। इसके बाद इसे 1 अप्रैल 2007 से अंबाला और मेवात तथा 1 अप्रैल 2008 से राज्य के शेष जिलों में भी लागू कर दिया गया।

Mahatma Gandhi Nrega Yojana – मुख्य उद्देश्य!

योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण आजीविका सुरक्षा को सुदृढ़ करना है। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों के वयस्क सदस्य जो अकुशल शारीरिक श्रम करने के इच्छुक हैं, उन्हें 100 दिनों तक मजदूरी आधारित रोजगार प्रदान किया जाता है। साथ ही, योजना के माध्यम से क्षेत्र की बुनियादी संरचना का भी विकास किया जाता है।

लाभार्थी और आवेदन प्रक्रिया!

  • योजना सभी ग्रामीण परिवारों के लिए खुली है जो श्रम आधारित रोजगार चाहते हैं।
  • इच्छुक व्यक्ति ग्राम पंचायत में आवेदन करके पंजीकरण करा सकते हैं।
  • पंजीकरण के बाद जॉब कार्ड जारी किया जाता है।
  • आवेदन प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर रोजगार उपलब्ध कराना आवश्यक है, अन्यथा बेरोजगारी भत्ता देना अनिवार्य है।

बेरोजगारी भत्ता का प्रावधान!

यदि आवेदक को 15 दिनों में काम नहीं दिया जाता, तो उसे बेरोजगारी भत्ता मिलता है:

  • पहले 30 दिनों तक: मजदूरी का 1/4 भाग
  • इसके बाद: मजदूरी का 1/2 भाग

ध्यान देने योग्य है कि यदि आवेदक स्वयं कार्य पर नहीं पहुंचता या परिवार पहले ही 100 दिन काम कर चुका है, तो भत्ता नहीं दिया जाएगा।

वेतन और भुगतान प्रणाली

  • वर्ष 2024 से निर्धारित न्यूनतम मजदूरी ₹374 प्रति दिवस है, जो पुरुष और महिला दोनों को समान रूप से दी जाती है।
  • भुगतान सीधे बैंक/डाकघर खातों में साप्ताहिक या पखवाड़ा आधार पर किया जाता है।

अनुमत कार्य

इस योजना के तहत विभिन्न प्रकार के निर्माण और विकास कार्यों की अनुमति है:

  • जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन
  • सिंचाई नहरों और कृषि संबंधी कार्य
  • पारंपरिक जल स्रोतों का नवीनीकरण
  • ग्रामीण सड़कें और संपर्क मार्ग
  • आंगनवाड़ी केंद्र और स्कूल शौचालय निर्माण
  • पशुपालन और मत्स्य पालन से संबंधित संरचनाएँ
  • कृषि आधारित जैविक खाद जैसे वर्मी कम्पोस्ट, NADEP टैंक आदि
  • खेल मैदान और रेलवे अप्रोच रोड जैसी संरचनाएं

विशेष रूप से अनुसूचित जाति/जनजाति, गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों या लघु एवं सीमांत किसानों के भूमि पर कार्य को प्राथमिकता दी जाती है।

योजना संचालन की रणनीति

  • योजना का क्रियान्वयन पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से होता है।
  • ब्लॉक कार्यक्रम अधिकारी ग्राम पंचायतों को कुल लागत का 50% कार्य आवंटित करते हैं।
  • जिला कार्यक्रम समन्वयक (DPC) पूरे जिले में योजना की निगरानी और अनुमोदन के लिए उत्तरदायी होता है।

विशेष प्रतिबंध और नियम

  • योजना में ठेकेदारों की नियुक्ति और मशीनों का उपयोग प्रतिबंधित है।
  • मस्टर रोल (कार्य उपस्थिति रजिस्टर) का रख-रखाव अनिवार्य है।
  • मजदूरी और सामग्री लागत का अनुपात 60:40 बनाए रखना आवश्यक है।

निष्कर्ष

महात्मा गांधी नरेगा योजना न केवल ग्रामीण परिवारों को आर्थिक सहायता देती है, बल्कि गांवों की बुनियादी संरचना को भी सशक्त बनाती है। यह योजना भारत में समानता, न्याय और गरिमा पर आधारित रोजगार की गारंटी प्रदान करती है। आज के समय में जब बेरोजगारी और ग्रामीण पलायन गंभीर समस्या बन चुकी है, MGNREGA एक स्थायी समाधान के रूप में कार्य कर रही है।

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