भारत में जल संकट की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार ने 25 दिसंबर 2019 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 95वीं जयंती के अवसर पर “अटल भूजल योजना” (Atal Bhujal Yojana) की शुरुआत की। यह योजना विशेष रूप से उन क्षेत्रों में लागू की गई है जहाँ भूजल स्तर में गिरावट और जल संकट की स्थिति गंभीर है।
योजना का उद्देश्य और कार्यान्वयन
अटल भूजल योजना का मुख्य उद्देश्य सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से भूजल संसाधनों का सतत प्रबंधन सुनिश्चित करना है। यह योजना भारत सरकार और विश्व बैंक के संयुक्त वित्तपोषण से संचालित की जा रही है, जिसमें दोनों का योगदान 50:50 है। योजना की कुल लागत ₹6,000 करोड़ है और इसे 2020 से 2025 तक के पांच वर्षों की अवधि में लागू किया जा रहा है।
लक्षित राज्य और क्षेत्र
यह योजना सात राज्यों—गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश—के 80 जिलों के 229 प्रशासनिक ब्लॉकों में लागू की गई है। इन क्षेत्रों में 8,203 ग्राम पंचायतों को शामिल किया गया है, जहाँ भूजल स्तर में गिरावट और जल संकट की स्थिति गंभीर है।
प्रमुख विशेषताएँ
- सामुदायिक भागीदारी: योजना के तहत ग्राम पंचायतों को जल सुरक्षा योजनाएँ (Water Security Plans) तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जिसमें जल बजटिंग, भूजल स्तर की निगरानी और जल संरक्षण उपाय शामिल हैं।
- प्रदर्शन आधारित वित्तपोषण: राज्यों को निधियाँ उनके प्रदर्शन और पूर्व निर्धारित संकेतकों की प्राप्ति के आधार पर जारी की जाती हैं।
- तकनीकी सहायता: योजना के तहत जल उपयोग दक्षता बढ़ाने, भूजल पुनर्भरण को प्रोत्साहित करने और डेटा संग्रहण के लिए तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है।
अब तक की प्रगति
योजना के तहत अब तक विभिन्न राज्यों को कुल ₹1,688.90 करोड़ की निधि जारी की जा चुकी है। इसके अलावा, योजना के अंतर्गत 1,000 से अधिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं और 2,000 से अधिक पाईजोमीटर स्थापित किए गए हैं, जिससे भूजल स्तर की निगरानी में सहायता मिल रही है।
चुनौतियाँ और समाधान
हालांकि योजना ने कई क्षेत्रों में सकारात्मक प्रभाव डाला है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी सामने आई हैं, जैसे कि जल सुरक्षा योजनाओं में सतही जल स्रोतों की अनदेखी और डेटा की सटीकता में कमी। इन चुनौतियों से निपटने के लिए योजना के कार्यान्वयन में सुधार और समुदायों को अधिक सशक्त बनाने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
अटल भूजल योजना भारत में जल संसाधनों के सतत प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह योजना न केवल भूजल स्तर में सुधार लाने में सहायक है, बल्कि जल संरक्षण के प्रति सामुदायिक जागरूकता बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यदि योजना को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए और समुदायों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाए, तो यह जल संकट से निपटने में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।

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